ऐसे बनीं आनंदीबाई भारत की पहली महिला डॉक्टर, 22 साल की उम्र में  हो गया था निधन

India's 1st Female Doctor

Published - 30 June, 2023

देश में हर साल 1 जुलाई को नेशनल doctors day मनाया जाता है। इसकी शुरूवात पहली बार 1991 में Indian medical Association (IMA) द्वारा की गयी थी।

Doctors Day 2023  

देश के सभी doctors और healthcare professionals के योगदान और सम्मान में हर साल 1 जुलाई को नेशनल doctors day मनाया जाता है। 

क्यों मनाते है डॉक्टर्स डे

इसी दिन देश के जाने माने फिजिशियन डॉक्टर बिधान चंद्रा रॉय की पुण्यतिथि भी होती है। मेडिकल क्षेत्र में उनके योगदान के सम्मान में भी नेशनल doctors day मनाया जाता है। 

क्यों मनाते है डॉक्टर्स डे

पुणे के एक जमींदार परिवार में 31 मार्च 1865 को जन्मी आनंदीबाई जोशी भारत की पहली महिला डॉक्टर थी, संघर्षों से भरी है देश कि पहली महिला डॉक्टर की कहानी

कौन थी देश की पहली महिला डॉक्टर

आनंदी का विवाह मात्र 9 साल की उम्र गोपालराव से करा दिया गया, गोपाल राव आनंदी से 16 साल बड़े थे। और उनकी पहली पत्नी की मौत हो चुकी थी।

9 साल की उम्र में शादी

सिर्फ़ 14 साल की उम्र में ही आनंदी मां बन गईं। लेकिन किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होने के कारण उनके नवजात बच्चे की 10 दिन बाद ही उसकी मौत हो गई

14 साल में आनंदी बनीं माँ

अपने नवजात बच्चे को खोने का दर्द आनंदी के लिए असहनीय था लेकिन उन्होंने ठान लिया की अब किसी भी बच्चे को बीमारी से नहीं मरने देंगी

हर बच्चे को बचाने का किया संकल्प

आनंदी ने डॉक्टर बनने की इच्छा गोपालराव को बताई, पति के समर्थन से उन्होंने कलकत्ता से संस्कृत और अंग्रेजी की पढ़ाई पूरी की

ऐसा रहा डॉक्टर बनने का सफ़र

गोपालराव ने अमेरिका में चिकित्सा की पढ़ाई करने की पूरी जानकारी जुटाई और समाज और परिवार के विरोध के बावजूद आनंदी का साथ दिया

पति ने निभाया साथ

अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में महिला मेडिकल कॉलेज से आनंदी ने दाखिला लिया, उस समय   दुनिया में ऐसे दो ही महिला मेडिकल कॉलेज थे 

अमेरिका में पूरी की डॉक्टर की पढ़ाई

आनंदी ने मात्र 19 साल की उम्र में डॉक्टर की डिग्री हासिल की। वह पहली भारतीय महिला थीं, जिसे यह डिग्री मिली। बाद में आनंदी बाई भारत लौटी और चिकित्सक के रूप में अपनी सेवाएँ दी

19 साल की उम्र में पहली महिला डॉक्टर

डाॅक्टरी की प्रैक्टिस के दौरान वह टीबी की बीमारी से ग्रसित हो गयी। और 26 फरवरी 1887 में महज 22 साल की उम्र में बीमारी के कारण अंतिम साँस ली

22 साल की उम्र में निधन