Published - 4 July 2023
MBBS in Ukraine
मेडिकल फ़ील्ड में रूचि रखने वाले हजारों बच्चे NEET परीक्षा क्वालीफाई कर MBBS की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जाते हैं, यूक्रेन में बच्चे इसलिए जाते हैं क्योंकि भारत के मुकाबले यूक्रेन में फीस बहुत कम है।
यूक्रेन से MBBS की पढ़ाई करने के लिए कम से कम 50% अंकों के साथ PCB स्ट्रीम से आपका 12th कम्पलीट होना चाहिए और NEET परीक्षा क्वालीफाई होनी चाहिए
यूक्रेन में MBBS का कोर्स 6 साल का होता है और अगर बात करें एवरेज फीस की तो यहां के अधिकतर मेडिकल कॉलेजेस में MBBS का कोर्स लगभग 20 से 25 लाख में पूरा हो जाता है।
10th, 12th मार्कशीट, जन्म प्रमाणपत्र, माइग्रेशन सर्टिफिकेट, माता-पिता का बैंक विवरण, पासपोर्ट, वीजा, मेडिकल रिपोर्ट, पासपोर्ट साइज फोटो, जिस कॉलेज में आपको सीट मिली है वहां का ऑफर लेटर, NEET स्कोरकार्ड, फ्लाइट टिकट
भारतीय बच्चों के बीच MBBS पढ़ाई के लिए यूक्रेन बहुत ही पसंदीदा विकल्प है, यहां के कॉलेजेस को भारत के साथ कई अन्य देशों की भी मान्यता प्राप्त है, यूक्रेन में कई मेडिकल कॉलेज हैं उनमें से कुछ टॉप कॉलेजस के बारे में आगे देखें।
कीव मेडिकल यूनिवर्सिटी को WHO द्वारा मान्यता प्राप्त है और साथ ही वर्ल्ड डायरेक्ट्री ऑफ मेडिकल स्कूल (IMED) में भी शामिल है, यहां के बच्चे को प्रैक्टिस के लिए जर्मनी और पोलैंड भेजा जाता है। यहां की सालाना फीस 3,15,000 रूपए है।
बोगोमोलेट्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी यूक्रेन की राजधानी कीव शहर में स्थित है, इसे WHO और MCI से मान्यता प्राप्त है, बच्चों को यहां बेहतर सुविधा दी जाती है, इस यूनिवर्सिटी में तीन डिपार्टमेंट (मेडिकल फैकल्टी, स्टोमेटोलॉजी फैकल्टी, फॉर्मेसी फैकल्टी) हैं।
खारकीव यूनिवर्सिटी हाई क्वालिटी मेडिकल एजुकेशन के लिए मानी जाती है, यहां प्रैक्टिकल ओरिएंटेड पढ़ाई अधिक होती है। यहां टीचिंग और हॉस्टल फीस समेत MBBS की कुल सालाना फीस 4,06,000 रूपए होती है।
VNM यूनिवर्सिटी कई सस्थानों के साथ कोलैबोरेशन में काम करती है, जिसमें 9 इंटरनेशनल, 13 राज्य और 13 विदेशी शैक्षणिक संस्थानें शामिल हैं और यहां MBBS की सालाना फीस 4,20,000 रूपए है, इसमें टीचिंग और हॉस्टल फीस भी शामिल है।
यूक्रेन की किफायती जगह मायकोलाइव ओब्लास्ट में पेट्रो मोहिला ब्लैक सी नेशनल यूनिवर्सिटी स्थित है, यह यूनिवर्सिटी यूक्रेन की टॉप 200 शिक्षा संस्थानों की सूची में 44वें नंबर पर आती है, ऐसा यूनेस्को द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पता चला।